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Wednesday, November 6, 2013

कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन जम्मू संभाग के पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित किए

जम्मू-कश्मीर में सरपंच का, पंच का या लोकल बॉडी के जो नेता है उनका अधिकार क्या है बता दो हमको? कोई अधिकार है आपका? देखिए इक्कीसवी सदी के राजनीति में पंच, सरपंच व लोकल बॉडी के नेताओं को शक्ति देनी पड़ेगी। क्योंकि जो निर्णय लिया जाएगा वह गांव में लिया जाएगा। छोटे-छोटे कस्बों में लिया जाएगा और आपके बिना यह काम किया नहीं जा सकता। जम्मू और कश्मीर को बदलना है तो दो-तीन चीजे करनी है। सबसे पहले और सबसे जरूरी जो हमारे सरपंच है जो हमारे लोकल बॉडी के नेता हैं उनको पावर देनी है। उनको जिम्मेदारी देनी है। दूसरी बात जो जम्मू-कश्मीर के युवा है उनको ट्रेनिंग देनी है और उनको रोजगार दिलवाना है।

तीसरी बात जो जम्मू और कश्मीर की रीढ़ की हड्डी  है। जो हमारी महिलाएं है, जो मुझे यहां कम दिखाई दे रही हैं आज। उनकी मद्द करनी है। इन तीन चीजों को कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हिमायत का प्रोग्राम है, उम्मीद का प्रोग्राम है। हजारों युवाओं को हम रोजगार व ट्रेनिंग दे रहे है। जो जानकारी आपके पास है, गांव की जानकारी, छोटे-छोटे कस्बों की जानकारी, वह मिनिस्टर के पास और एमएलए व एमपी के पास नहीं है। उनके पास दूसरी जानकारी है, उनका दूसरा रोल है। उनका कानून बनाने में रोल है। मगर लोकल काम करने का रोल आपका है।

यहां हमारी सरकार है और मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं कि हमारा दबाव यहां पूरा है और 73वें 74वें संशोधन को यहां पर हम आगे बढ़ाएंगे और लागू करेंगे। आपका जो हक है वह आपको मिलेगा और यह लड़ाई मैं आपके लिए लडूंगा। मैं यहां आता रहूंगा, दबाव ड़ालता रहूंगा, जब तक यह काम नहीं हुआ। रिफ्यूजी की बात और मैं जानता हूं कि उनको कष्ट होता है। उनको भी मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी आपकी लड़ाई लड़ेगी और जो भी हम आपके लिए कर सकते हैं हम करेंगे। अंबिका जी ने बार्डर की बात की बिल्कुल सहीं बात है। हमारी लड़ाई आपके साथ है। हम आपके साथ खड़े है और जो भी हम जम्मू-कश्मीर के लिए कर सकते है हम करने को तैयार है। मैं चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर की जनता को शक्ति मिले, अधिकार मिले। अभी मैने चीफ मिनिस्टर से बात की भोजन के अधिकार के बारे में। उनके कंसर्ट थे कि थोड़ा कम भोजन आएगा भोजन के अधिकार से और हमने उनसे कहा कि देखिए यही समस्या केरला मे थी, यही समस्या तमिलनाडु में थी और हमने, दिल्ली की सरकार ने उनकी मद्द की। जिस प्रकार हमने उनकी मद्द की उसी प्रकार हम आपकी भी मद्द करने वाले हैं।

तो भोजन का अधिकार यहां पर लागू होना चाहिए और जो भी कमियां हैं हम उनको पूरा कर देंगे, कोई प्राब्लम नहीं है। क्योंकि हम चाहते है कि जो भी फायदा यूपीए की सरकार बाकी प्रदेशों को दे रही है, चाहें वह भोजन का अधिकार हो, भूमि अधिग्रहण बिल की बात हो, पंचायती राज की बात हो, जो भी हम बाकि प्रदेशों में कर रहे है, हम जम्मू-कश्मीर में करे। जितनी मजबूती हम सरपंचों व पंचों को हम बाकि प्रदेशों में दे रहे हैं, हम यहां देना चाहते है। अगर आप केरला जाएं, तमिलनाडु जाएं, वहां राजनीति में मजा आता है। क्यों? क्योंकि सरपंचों के पास अधिकार है। डिस्ट्रिक्ट प्लान बनते है, लोकल पार्टिसिपेशन होता है, मीटिंग होती है, जनता की बाते निकलती है। यही राजनीतिक भविष्य है और यही जम्मू-कश्मीर में होगा।

मैं यहां इसलिए आया हूं, मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं कि आने वाले समय में आपको अधिकार मिलेगे और जब तक नहीं मिलेगा मैं यहां आता रहूंगा और आपकी लड़ाई लड़ता रहूंगा। जो भी इश्यू है, रिजर्वेशन की बात है, महिलाओं की रिजर्वेशन की बात है। उन इश्यू को हम रिजॉल्व करके आपके अधिकार को हम आपको देने वाले हैं। बस यही मेरा आपके लिए संदेश है। देखिए पहली बात यह है कि अगर मैं आपकी बात नहीं सुनना चाहता तो मुझे यहां आने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। मैं यहां इसलिए आया हूं क्योंकि मैं आपकी बात सुनना चाहता हूं और मैं आपकी लड़ाई लड़ना चाहता हूं। भूमि अधिग्रहण बिल को लाने के लिए भट्टा पारसौल में लड़ाई शुरू हुई और भूमि अधिग्रहण बिल आया। कितना समय लगा? साल, डेढ़ साल लगा। आपको ये लड़ाई लड़नी है और हम आपके साथ खड़े हैं। राज्य सरकार पर दबाव डालेंगे।

आप घबराओं मत और यह काम हम करके दिखाएंगे। मगर यह काम एक मिनट में नहीं होने वाला है। इस काम के लिए आपको एक साथ खड़ा होना पड़ेगा। एक साथ लड़ना पड़ेगा। हम सबको एक साथ मिलकर दबाव डालना पड़ेगा। ये मुफ्त में नहीं मिलने वाला है। आप यह मत सोचों कि एक मिनट में यह काम किया जा सकता है। मगर हम आपको यह आश्वासन देना चाहता हूं कि यह काम हम करके दिखाएंगे। हम आपके साथ खड़े है और यह काम सौ प्रतिशत होगा। आप सब दूर-दूर से आये इसके लिए आप सबका धन्यवाद, नमस्कार।

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